उर्दू भाषा को लेकर कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन ने किया स्वागत
सम्राट न्यूज
कोई भी भाषा किसी विशेष धर्म या संप्रदाय की भाषा नहीं हो सकती-इलाहाबाद उच्च न्यायालय
मुजफ्फरनगर 8 अगस्त- योगेंद्रपुरी में उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन मुजफ्फरनगर के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की बैठक योगेन्द्रपुरी मंे आयोजित हुई। जिसमें संगठन के पदाधिकारियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर खुशी का इज़हार किया जिसमें कहा गया है कि भाषा को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता और उर्दू को उन क्षेत्रों में भी पढ़ाया जा सकता है जहां बहुत कम मुसलमान हैं।
संगठन के जिलाध्यक्ष कलीम त्यागी और संयोजक तहसीन अली ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निष्पक्ष बताते हुए कहा कि अदालत न उर्दू को धर्म के दायरे से बाहर कर दिया है। उन्होंने कहा कि उर्दू किसी धर्म की ज़बान नहीं बल्कि भारत की ज़बान है और उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों की द्वितीय राजभाषा भी है। उर्दू को किसी भी धर्म से जोड़ने या उर्दू शिक्षक की सेवाओं को केवल इसलिए समाप्त नहीं किया जा सकता है
यूडीओ के प्रचार प्रसार प्रभारी हाजी ओसाफ अहमद ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अदालत ने सही फैसला दिया है कि उर्दू को भाषा के रूप में किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के बच्चों का पढ़ाया जा सकता है और इसे किसी को रोकने का अधिकार नहीं है। एक उर्दू शिक्षक को सिर्फ इसलिए नहीं हटाया जाना चाहिए क्योंकि वहां मुस्लिम बच्चे नहीं हैं।
मास्टर शहज़ाद अली ने न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार ने मिश्रा को बधाई दी जिसमें उन्होंने कहा कि पहली नज़र में उन्हें समझ में आ गया कि किसी भाषा विशेष को किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जा सकता है। कोर्ट ने एक याची की याचिका पर अतिरिक्त मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश को भी इस संबंध में जल्द से जल्द अपनी नीति तैयार करने का नोटिस जारी किया है।
मीटिंग में कलीम त्यागी, तहसीन अली, मा0 रईसुद्दीन राना, मास्टर शहज़ाद अली, हुसैन अहमद, औसाफ अहमद, चौ0 तराबुद्दीन वगैरह शामिल रहे।